Tuesday, 30 December 2014
Sunday, 28 December 2014
दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा...
दुनिया के इतिहास में ऐसा युद्ध ना कभी किसी ने पढ़ा होगा ना ही सोचा होगा, जिसमे 10 लाख की फ़ौज का सामना महज 42 लोगों के साथ हुआ था और जीत किसकी होती है उन 42 सूरमो की l
यह युद्ध 'चमकौर युद्ध' (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो की मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की फ़ौज का सामना सिर्फ 42 सिखों के सामने हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में त्यार हुए थे l
नतीजा यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी l उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को आज़ाद भारत का दर्ज़ा दिया l
औरंगज़ेब ने भी उस वक़्त गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ हिन्दुस्तान से l
तभी औरंगेब ने एक प्रश्न किया गुरु गोबिंद सिंह जी के सामने, की यह कैसी फ़ौज तयार की आपने जिसने 10 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेका !
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जवाब दिया..
" चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ ..
गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ ..
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ !"
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है l यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं l
अगर आपको यकीन नहीं होता तो एक बार जरूर गूगल में लिखे 'बैटल ऑफ़ चमकौर' और सच आपको पता लगेगा l
" भारत के गौरवशाली इतिहास के बारे में दुनिया को पता लगे l"
धन्यवाद
Yuva Shakti - युवा शक्ति संगठन
यह युद्ध 'चमकौर युद्ध' (Battle of Chamkaur) के नाम से भी जाना जाता है जो की मुग़ल योद्धा वज़ीर खान की अगवाई में 10 लाख की फ़ौज का सामना सिर्फ 42 सिखों के सामने हुआ जो की गुरु गोबिंद सिंह जी की अगवाई में त्यार हुए थे l
नतीजा यह निकलता है की उन 42 शूरवीर की जीत होती है जो की मुग़ल हुकूमत की नीव जो की बाबर ने रखी थी l उसे जड़ से उखाड़ दिया और भारत को आज़ाद भारत का दर्ज़ा दिया l
औरंगज़ेब ने भी उस वक़्त गुरु गोबिंद सिंह जी के आगे घुटने टेके और मुग़ल राज का अंत हुआ हिन्दुस्तान से l
तभी औरंगेब ने एक प्रश्न किया गुरु गोबिंद सिंह जी के सामने, की यह कैसी फ़ौज तयार की आपने जिसने 10 लाख की फ़ौज को उखाड़ फेका !
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जवाब दिया..
" चिड़ियों से मैं बाज लडाऊ ..
गीदड़ों को मैं शेर बनाऊ ..
सवा लाख से एक लडाऊ तभी गोबिंद सिंह नाम कहउँ !"
गुरु गोबिंद सिंह जी ने जो कहा वो किया, जिन्हे आज हर कोई शीश झुकता है l यह है हमारे भारत की अनमोल विरासत जिसे हमने कभी पढ़ा ही नहीं l
अगर आपको यकीन नहीं होता तो एक बार जरूर गूगल में लिखे 'बैटल ऑफ़ चमकौर' और सच आपको पता लगेगा l
" भारत के गौरवशाली इतिहास के बारे में दुनिया को पता लगे l"
धन्यवाद
Yuva Shakti - युवा शक्ति संगठन
जन गण मन
मित्रो,
आज ही के दिन 28 दिसंबर सन 1911 में जार्ज पंचम नाम का अंग्रेज वायसराय भारत आया था तब रविन्द्र नाथ टेगोर अंग्रेजो की नोकरी करते थे।
रविन्द्र नाथ को वायसराय के सम्मान में कुछ लिखने को कहा गया तब उन्होंने यह जन गण मन लिखा और जब इसे जार्ज पंचम के सामने सुनाया गया तो वह बड़ा खुश हुआ!
प्रश्न: कई लोगों का मानना है कि , ये एक अंग्रेज के अभिवादन में किया जो की गलत था।
आपका क्या कहना है इस बात पर..
अपनी राई जरूर दे..?
Saturday, 27 December 2014
Friday, 26 December 2014
Tuesday, 16 December 2014
Subscribe to:
Posts (Atom)